Sunday, December 28, 2008

Perhaps, Perhaps, Perhaps (by Meri Wilson)

You won't admit you love me
And so how am I ever to know
You always tell me
Perhaps, perhaps, perhaps.

A million times I have asked you
And then I ask you over again
You only answer
Perhaps, perhaps, perhaps

If you can't make your mind up
We'll never get started
And I don't wanna wind up
Being parted broken-hearted

So if you really love me
Say yes
But if you don't dear confess
But please don't tell me
Perhaps, Perhaps, perhaps,
perhaps... perhaps, perhaps

Wednesday, December 24, 2008

Mere Desh Ka Jhanda - by Mohit

Here is a nice song composed and sung by Mohit Gupta. Recorded simply on laptop and with a guitar, Mohit brilliantly brings out emotions about nation in his composition.




Lyrics (in hindi):
मेरे देश का झंडा जब जब यह लहराएगा,
मेरी हर साँस में यह मिट्टी की खुश्बू लाएगा
इसके लिए ना रहूं तो कोई शिकवा नही,
फिर मेरा कफ़न बन कर जन्नत मुझको ले जाएगा (२)

टिहूँ ओर समंदर, रेती रेगिस्तान, यह वादियाँ,
पीली सरसों, हंसते चेहरे, खुश्बू से भरा यह जहाँ

जहाँ कबीर और ग़ालिब के हुए नगमे जवान,
वक़्त आया तो सरहद पे मिट गये नौजवान

कर गये बसंती अपना चोला यह सब जहाँ,
खड़ा हिमलय देखता है सब कुर्बनियाँ

मेरे देश का झंडा जब जब यह लहराएगा,
तब तब मेरा तन, मन, सर फक्र से ऊँचा हो जाएगा

मेरे देश का झंडा जब जब यह लहराएगा,
मेरी हर साँस में यह मिट्टी की खुश्बू लाएगा
इसके लिए ना रहूं तो कोई शिकवा नही,
फिर मेरा कफ़न बन कर जन्नत मुझको ले जाएगा
फिर मेरा कफ़न बन कर जन्नत मुझको ले जाएगा

Saturday, December 6, 2008

निळ रंगी रंगले...

या अंबरतल्या नीळपटवर श्याम कन्हय्या नाचे
ह्या अवणी पटाच्या रास लयिवर एक बासुरी वाजे - 2

माझी सुध बुध आणि रीत बित तू भिजुनी चिंबा चिंब रे
निळ रंगी रंगले रे कान्हा निळ रंगी रंगले
निळ रंगी रंगले रे कान्हा निळ रंगी रंगले

मधुर मधुर हा साद तुझा.. शीर शीर होई राणी वणी
हवा हावासा स्पर्श तुझा दाह दाह्ल्या तनी मनी
गगणात ब्रम्ह आणि गीत गंध मे मस्तीता इंद्री
तव निळ रंग होऊनि दंग अशी धुंदी नाचेंद्री
माझी सुध बुध आणि रीत प्रिता तू भिजुनी चिंब चिंब रे

निळ रंगी रंगले रे कान्हा निळ रंगी रंगले - 2

खुळि किती ही प्रित अशी जन्मकु मजला हिन्सावाती
रीत जगाची स्वार्थ भरी मलान तुजला दुरावती
सहवास तुझा पर ध्यास असा की मी तुझीच उरली रे
मनी शामभान हेच एक ध्यान की मी तुज़ीच मुरली रे
माझी सुध बुधा आणि रीत बित तू भिजुनी चिंब चिंब रे

निळ रंगी रंगले रे कान्हा निळ रंगी रंगले - 2

या अंबरतल्या नीळपटवर श्याम कन्हय्या नाचे
ह्या अवणी पटाच्या रास लयिवर एक बासुरी वाजे - 2

माझी सुध बुध आणि रीत प्रित तू भिजुनी चिंब चिंब रे

निळ रंगी रंगले रे कान्हा निळ रंगी रंगले
निळ रंगी रंगले रे कान्हा निळ रंगी रंगले

Film: Saavali, Lyrics: Ashok Patki, Singer: Devki Pandit

राधा ही बावरी ...

रंगात रंग तो श्यामरंग पाहण्या नजर भिरभिरते
ऐकून तान विसरून भान ही वाट कुणाची बघते
त्या सप्तसुरांच्या लाटेवरुनि साद ऐकुनी होई -
राधा ही बावरी, हरीची राधा ही बावरी !

हिरव्या हिरव्या झाडांची पिवळी पाने झुलताना
चिंब चिंब देहवरुनी श्रावणधारा झरताना
हा दरवळणारा गंध मातीचा मनास बिलगून जाई
हा उनाड वारा गुज प्रितीचे कानी सांगून जाई
त्या सप्तसुरांच्या लाटेवरुनि साद ऐकुनी होई -
राधा ही बावरी, हरीची राधा ही बावरी !

आज इथे या तरुतळी सूर वेणूचे खुणावती
तुजसामोरी जाताना उगा पाऊले घुटमळती
हे स्वप्न असे की सत्य म्हणावे राधा हरखून जाई
हा चंद्र चांदणे ढगा आडुनी प्रेम तयांचे पाही
त्या सप्तसुरांच्या लाटेवरुनि साद ऐकुनी होई -
राधा ही बावरी, हरीची राधा ही बावरी !

अल्बम - तू माझा किनारा (२००४), गीत - अशोक पत्की

Monday, August 18, 2008

आओगे जब तुम ओ साजना...

आओगे जब तुम ओ साजना...
आओगे जब तुम ओ साजना॥
अंगणा फूल खिलेंगे॥
बरसेगा सावन... बरसेगा सावन...
झूम झूम के॥
दो दिल ऐसे मिलेंगे॥

आओगे जब तुम ओ साजना॥

नयना तेरे कजरारे है॥
नयनो पे हम दिल हारे है॥
अंजाणे ही तेरी नैनो ने॥
वादे कीये कयि सारे है॥
ससॉं की लै ... मथम चले॥
तोसे कहे....
बरसेगा सावन ...बरसेगा सावन॥
झूम झूम के॥
दो दिल ऐसे मिलेंगे॥
आओगे जब तुम ओ साजना...
अंगणा फूल खिलेंगे॥

चंदा को ताकु रातो मैं ...
है जिंदगी तेरी हाथोमे...
पलाकोपे झिलमिल तारे है॥
आणा भरी बरसातो मै॥
सॅपनोका जहाँ...
होगा खीला खीला...
बरसेगा सावन ... बरसेगा सावन...झूम झूम के...
दो दिल ऐसे मिलेंगे..
आओगे जब तुम ओ साजना...

(PS: This song is from movie 'Jab We Met', definitely not written by me.)

Monday, August 4, 2008

दिल ने तुम को चुन लिया है

(दिल ने तुम को चुन लिया है, तुम भी उसको चुनो ना
ख्वाब कोई देखता है, तुम भी सपने बुनो ना) - (2)
दिल ये मेरा तुमसे कुछ केह राहा है, सुनो ना - (2)
दिल ने तुम को चुन लिया है, तुम भी उसको चुनो ना
ख्वाब कोई देखता है, तुम भी सपने बुनो ना
दिल ये मेरा तुमसे कुछ केह राहा है, सुनो ना - (2)

(दूर हो कर भी दूर तुम नाही हो
पास हो लेकिन पास क्यों नाही हो) - (2)
तन्हा तन्हा समा मेहकी मेहकी हवा
केह राहा है जहाँ जो सुनो ना
दिल ने तुम को चुन लिया है,
तुम भी उसको चुनो ना
ख्वाब कोई देखता है, तुम भी सपने बुनो ना
दिल ये मेरा तुमसे कुछ केह राहा है, सुनो ना - (2)

(देखलो मौसम कितना सुहना है
प्यार करणे का ये तोह एक बहाणा है) - (2)
मुस्कूरती फिजा गुणगुणती हवा,
केह राहा है जहाँ जो सुनो ना
दिल ने तुम को चुन लिया है,
तुम भी उसको चुनो ना
ख्वाब कोई देखता है, तुम भी सपने बुनो ना
दिल ये मेरा तुमसे कुछ केह राहा है, सुनो ना - (2)

Saturday, February 16, 2008

आह को चाहिए...

आह को चाहिए इक 'उमर असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होणे तक ?

दाम हर मौज में है हल्क-ए-साद-काम-ए-नहण्ग
देखे क्या गुज़रे है कत्रे पे गुहार होणे तक

आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूं खून-ए-जिगर होणे तक ?

हम्ने माना के तघःफुल ना करोगे, लेकिन
खाक हो जायेगे हं तुम्को खबर होने तक

परताव-ए-खूर से है शब्नं को फना'अ की तालीम
मैं भी हून इक इनायत की नझर होने तक

याक_नझर बेश नहीं फुर्सत-ए-हस्ती घाफील
गर्मी-ए-बज़म है इक रक्स-ए-शरार होणे तक

गम-ए-हस्ती का 'असाद' किस'से हो जुज़ मर्ज इलाज़
शम्मा'अ हर रंग में जलती है सहर होने तक

- मिर्झा गालिब

Sunday, January 6, 2008

याद

उन लम्होसे वास्ता हम छुडाते रहे..
हर्र वक्त दिल को हम समझाते रहें..

ऐ दिल...भूल जा.. ना याद कर उन्हे..
यही केहाते हुए हम उन्हे याद करते रहें..

Friday, January 4, 2008

आ.. की मेरी जान को क़रार नहीं है

आ.. की मेरी जान को क़रार नहीं है,
ताकत-ए-बेदाद-ए-इंतज़ार नहीं हैं

देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले,
नश्शा बा'अंदाज़-ए-खुमार नहीं हैं

गिरियं निकालि हैं तेरी बझ्म से मुझ को,
हाय! की रोने पे इख्तियार नहीं हैं

हमसे अ'बस्स है गुमान-ए-रन्जिश-ए-खातीर,
खाक मैं उश्शाक़ की गुबार नहीं हैं

दिल से उठा लुफ्त-ए-जलवा हाय मानी,
घैर्-ए-गूल आईना-ए-बहार नहीं हैं

कत्ल का मेरे किया हैं 'अहद तो बारे,
वै! 'आखर अहद उस्तवार नहीं हैं

तूने क़सम मैखशि की खाई हैं 'गालिब',
तेरी क़सम का कूछ ऐतबार नहीं हैं !!

- मिर्झा गालिब

- Adopted from open source website smriti.com