Sunday, January 6, 2008

याद

उन लम्होसे वास्ता हम छुडाते रहे..
हर्र वक्त दिल को हम समझाते रहें..

ऐ दिल...भूल जा.. ना याद कर उन्हे..
यही केहाते हुए हम उन्हे याद करते रहें..

Friday, January 4, 2008

आ.. की मेरी जान को क़रार नहीं है

आ.. की मेरी जान को क़रार नहीं है,
ताकत-ए-बेदाद-ए-इंतज़ार नहीं हैं

देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले,
नश्शा बा'अंदाज़-ए-खुमार नहीं हैं

गिरियं निकालि हैं तेरी बझ्म से मुझ को,
हाय! की रोने पे इख्तियार नहीं हैं

हमसे अ'बस्स है गुमान-ए-रन्जिश-ए-खातीर,
खाक मैं उश्शाक़ की गुबार नहीं हैं

दिल से उठा लुफ्त-ए-जलवा हाय मानी,
घैर्-ए-गूल आईना-ए-बहार नहीं हैं

कत्ल का मेरे किया हैं 'अहद तो बारे,
वै! 'आखर अहद उस्तवार नहीं हैं

तूने क़सम मैखशि की खाई हैं 'गालिब',
तेरी क़सम का कूछ ऐतबार नहीं हैं !!

- मिर्झा गालिब

- Adopted from open source website smriti.com